शहद किंग जी हां यही नाम दिया है हमने गोरखपुर जिले के छोटे से गांव हरपुर निवासी राजू सिंह को…जो संघर्ष और आगे बढ़ने की जिजीविषा के दम पर मधुमक्खी पालन के क्षितिज पर ध्रुव तारे की तरह चमक रहे हैं… उनकी मेहनत का लोहा सरकार ने भी माना है…तभी तो जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर के सारे अवॉर्ड उनको मिल चुके हैं…शुरुआत में टमाटर और केले की खेती करने वाले राजू सिंह ने जब मौन पालन यानि मधुमक्खी पालन में हाथ आजमाने की सोची तो उनको द्रोणाचार्य जैसे गुरु मिले…उनसे मिलकर राजू सिंह की जिंदगी की दशा और दिशा दोनों बदल गई…
राजू सिंह जब मधुमक्खी पालन की राह पर निकले तो उन्होंने ट्रेनिंग लेने की सोची और पहुंच गए राजकीय मौन पालन केंद्र जौलीकोट नैनीताल…जहां उनकी मुलाकात हुई डॉक्टर योगेश्वर सिंह से…योगेश्वर सिंह के सानिध्य में मिली उस ट्रेनिंग के बाद राजू बन गया जैंटेलमैन की तर्ज पर राजू बन गया मधुमक्खी मैन…हालांकि राजू की शुरुआत अच्छी नहीं रही…ट्रेनिंग के बाद उन्होंने ने लुधियाना से दो बक्से खरीदे…जिसमें से एक खराब हो गया मतलब मधुमक्खियों को बीमारी लगी और वो कॉलोनी खत्म हो गई…लेकिन हौसलों के धनी राजू सिंह ने हार नहीं मानी और वक्त के साथ वो मधुमक्खियों की आदतें और जरूरतें समझने लगे…और इस समझ ने उनको मुकद्दर का सिकंदर बना दिया…
राजू सिंह ने एक बार जब सफलता की राह पकड़ी तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा…काम करते करते उनको समझ आया कि मधुमक्खियों को घुमाने से कॉलोनी बढ़ती है तो वो यूपी के हर कोने में पहुंचने लगे…यूपी के साथ ही वो प्रदेश के बाहर भी जाने लगे…इससे उनकी शहद का फ्लेवर बदलने लगा…कई बार लोग उनको बुलाते भी हैं…मधुमक्खियों के खेत पर होने से उत्पादन भी 15 से 25 फीसदी तक बढ़ जाता है…ट्रांसपोर्टेशन के सवाल पर राजू सिंह कहते हैं कि बड़े ट्रकों में बक्से ले जाने से मधुमक्खियों को चोट लग सकती है…इसलिए छोटे वाहनों या लोडर में वो बक्से लेकर चलते हैं…
इस समय राजू सिंह के पास 1000 बक्से हैं…एक बक्से की कॉलोनी सहित कीमत करीब 5500 रुपये है…राजू सिंह ने गांव देश से बात करते हुए बताया कि वो मौसम और फूल के हिसाब से शहद बनाते हैं…इनमें यूके लिप्टिस, अजवाइन, सेब, गेंदा, तुलसी, लीची, धान और सरसों जैसे फ्लेवर शामिल हैं…राजू शहद को अमृत बताते हैं…उनके मुताबिक अक्टूबर से मार्च तक मधुस्राव काल होता है…वहीं बसंत में सबसे ज्यादा शहद होता है…बसंत में मधुमक्खियों में सबसे तेज प्रजनन होता है… राजू बताते हैं कि सरसों का शहद कई मायनों में खास होता है क्योंकि इसमें प्रपोलिस मिलता है…राजू सिंह ने बताया कि मधुमक्खी का डंक या विष अंतर्राष्ट्रीय बाजार में करीब 80 लाख रुपये किलो बिकता है…


राजू सिंह अमृत शहद बेचते हैं…इसे अमृत क्यों कहते हैं इसके पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प और जानने लायक है…गांव देश को राजू सिंह ने बताया कि सामान्यतौर पर शहद मधुमख्खियों से छीना जाता है…लेकिन अमृत वो शहद होता है जो मधुमक्खियां खुद हमें देती हैं…सामान्य शहद वो तनाव में देती हैं जबकि अमृत एक तरीके से उनका गिफ्ट होता है…जो एक खास मुहूर्त में वो अपनी मर्जी से देती हैं…राजू सिंह के मुताबिक अमृत शहद की महिमा अपरंपार है…उनके मुताबिक इसको खाने से कई तरह की बीमारिया दूर होती हैं…और इसकी दिव्यता ऐसी है कि इसे खाने वाले पर किसी बुरी या नकारात्मक चीज का असर नहीं होता….बच्चों के लिए अमृत किसी औषधि से कम नहीं है…बच्चों पर इसका सकारात्मक असर होती है उनकी बुद्धि तेज होती है…अमृत शहद से बना चवनप्राश गुणों की खान होता है…ये शहद साल में सिर्फ दो बार मिलता है…कभी पूरा दिन तो कभी करीब 6 घंटे तो कभी सिर्फ 2 घंटे…राजू सिंह के मुताबिक साल में करीब 2 से 2.5 क्विंटल अमृत शहद उनको मिलता है इस शहद की कीमत सामान्य शहद से करीब दोगुनी होती है…
करीब 30 साल से मौन पालन के क्षेत्र में काम कर रहे राजू सिंह को अभी तक मार्केटिंग करने की जरूरत नहीं पड़ी…मौखिक प्रचार से ही उनका सारा शहद बिक जाता है…लेकिन अब उनकी योजना ऑनलाइन बिजनेस में उतरने की है…आईटी की पढ़ाई कर रहा उनका बेटा इसकी प्लानिंग कर रहा है…फिलहाल राजू सिंह का सालाना व्यापार करीब 50 लाख रुपये है…उनकी कंपनी में 15 कर्मचारी नियमित रूप से काम कर रहे हैं…उन्होंने हाईग्रोथ एग्रो इंटरप्राइजेज नाम की एक संस्था रजिस्टर्ड करवाई है…
ट्रेनी से मास्टर ट्रेनर बन चुके राजू सिंह पूरे देश में प्रशिक्षण देने जाते हैं…मधुमक्खियों की ही तरह शांति प्रिय राजू आज के जमाने के बच्चों को सीख देते हुए कहते हैं कि एकै साधे सब सधै सब साधे सब जाये…इसलिए बच्चों को एक लक्ष्य बनाकर उसको पूरा करने में लग जाना चाहिए…सफलता जरूर मिलेगी क्योंकि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता…राजू सिंह का कहना है कि उनकी जिंदगी एक सर्कस मालिक की तरह है…घर, स्टाफ, अधिकारी सब मैनेज करना पड़ता है…राजू सिंह की ख्वाहिश है कि उनके काम को अच्छी पहचान और मान सम्मान मिले…
राजू सिंह के शहद की खुशबू उत्तर प्रदेश राजभवन तक पहुंच रही है…पूर्व राज्यपाल राम नाईक से लेकर वर्तमान गवर्नर आनंदी बेन पटेल भी उनके शहद के प्रशंसकों में शामिल हैं…राजभवन में शहद की मिठास ऐसी घुली है कि राजू सिंह की अकेले में राज्यपाल से मुलाकात होती है…आगे अब उनका इरादा शहद आधारित एक एनर्जी ड्रिंक बनाने का है…जिसका आइडिया उनके बेटे ने दिया है और बेटा इस पर काम भी शुरू कर रहा है…9 भाई बहनों में सबसे बड़े राजू सिंह ने शहद की मिठास से अपनी जिंदगी का जायका भी मीठा किया है…इसी की कमाई से उन्होंने भाई-बहनोंम की शादी की…और अपने परिवार का लालन पोषण किया….पत्नी ने आदर्श जीवन संगिनी की तरह हर कदम पर उनका साथ दिया…
राजू सिंह का कहना है कि मधुमक्खी पालन में अपार संभावनाए हैं…जैसे मधुमक्खियां हमेशा देती हैं उसी तरह राजू सिंह भी शहद के जरिए सिर्फ मिठास बांट रहे हैं…किसानों को सोच बदलने की सलाह देते हुए वो कहते हैं कि सोच बदलने से ही हालात में सुधार हो सकता है…उनका कहना है कि किसानों को कृषि आधारित उद्योगों पर ध्यान देना चाहिए… सरकार से उनकी एक ही मांग है कि किसानों के प्रशिक्षण को किताबी की जगह प्रोयोगिक बनाने पर जोर देना चाहिए…तभी किसान पीएम मोदी के आत्म निर्भर भारत के सपने को साकार करने में कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ पाएंगे…और जब किसान आगे बढ़ेगा तो देश को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पाएगा….राजू सिंह से आप 9450984649 पर संपर्क कर सकते हैं…
-मनीष त्रिपाठी
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मेरे बड़े भाई राजू सिंह संघर्ष शिल महान व्यक्ति हैं,वह असफल होने पर इतना जल्दी हार नहीं मानते है।
राजू सिंह जैसे व्यक्ति को यह देश सलाम करता हैं। इनसे मेरा निवेदन है कि पूरे पूर्वांचल को अमृत धारा बनाने का प्रयत्न करे।आपके संघर्ष को कोटि कोटि प्रणाम।
अपका छोटा भाई अमृत लाल सिंह, रामूघाट पीपीगंज गोरखपुर